Kesari Chapter 2 : आज 18 अप्रैल है और अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड फिल्म ”केसरी चैप्टर 2” सिनेमाघर में रिलीज हो चुकी है.जिन दर्शकों ने फिल्म देख लिए वो इसे एक बेहतरीन फिल्म बता रहे हैं और उनका कहना है कि बहुत दिनों बाद एक ऐसी बेहतरीन फिल्म बॉलीवुड में आई है.
अभिनेता अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म केसरी चैप्टर 2 आज 18 अप्रैल को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो चुकी है.
फिल्म केसरी चैप्टर 2 की कहानी ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान हुए जलियांवाला बाग भीषण नरसंहार पर आधारित है.
इस फिल्म में मुख्य भूमिका में अक्षय कुमार हैं जिन्होंने वकील सी संकरण नायर की भूमिका निभाई है और आर माधवन जनरल डायर के वकील के रोल में हैं.
इस फिल्म में अनन्या पांडे भी हैं और उन्होंने सी शंकरन नायर की सहयोगी वकील दिलरीत गिल का रोल निभाया है.
इस फिल्म को करण सिंह त्यागी ने निर्देशित किया है.
जिन लोगों ने भी यह फिल्म देख ली है वह इसकी तारीफ कर रहे हैं यहां तक की दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने भी इस फिल्म की तारीफ की है.
फिल्म एनालिस्ट तरण आदर्श में इस फिल्म को पांच में से चार स्टार दिया है और कहा है कि यह फिल्म आउटस्टैंडिंग है. जो दर्शक भी इस मूवी को देख रहे हैं थिएटर से बाहर निकलते वक्त उनकी आंखें नम हो जा रही हैं. यहां तक की थिएटर में इंकलाब जिंदाबाद के नारे भी लगाए जा रहे हैं.
जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था. भले ही इस घटना को बीते हुए 100 साल से ऊपर हो गया हो लेकिन फिर भी यह एक ऐसी घटना है जिसको याद करने पर दिल दहल जाता है.
फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने आए लोगों ने जब लोकल 18 से बात की तो उस दौरान उन्होंने केसरी चैप्टर 2 फिल्म की जमकर तारीफ की. लोगों ने यह कहा कि यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए क्योंकि यह हमारे इतिहास को दर्शाती है. साथ ही साथ दर्शकों ने अक्षय कुमार और अनन्या पांडे की शानदार एक्टिंग की जमकर तारीफ की.

केसरी चैप्टर 2 की कहानी
केसरी चैप्टर 2 एक कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म है जो 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद की घटनाओं को दर्शाती है. कहानी के केंद्र में वकील सी संकरण नायर है जिन्होंने ताकतवर ब्रिटिश साम्राज्य को अदालत में घसीटा था.वह इस सच्चाई को उजागर करना चाहते थे कि यह हत्याकांड कोई गलती नहीं है बल्कि जानबूझकर किया गया एक नरसंहार है.
केसरी चैप्टर 2 मूवी रिव्यू
साल 2019 में फिल्म केसरी रिलीज हुई थी जिसमें की सारागढ़ी के युद्ध के मैदान की कहानी दिखाई गई थी. लेकिन इसके सीक्वल यानी कि केसरी चैप्टर 2 को डायरेक्टर करण सिंह त्यागी ने एकदम बिल्कुल अलग अंदाज में ही बनाया है. इसकी कहानी को एक पीरियड कोर्ट रूम ड्रामा में बदल दिया गया है.
इस फिल्म की कहानी सी संकरण नायर के पोते रघु पलात और पुष्पा पलात की लिखी हुई किताब “द केस दैट शुक द एंपायर” से प्रेरित है.
इस फिल्म की कहानी को करण सिंह त्यागी और अमृतपाल बिंद्रा ने लिखी है.
दोनों ने इस कहानी के जरिए करुणा, क्रोध और रोमांच पैदा करने का काम किया है.
इस फिल्म में जलियांवाला बाग हत्याकांड का रिक्रिएशन आपके दिल को छू लेता है.
फिल्म को देखते हुए अन्याय के खिलाफ आपका गुस्सा बढ़ता जाता है और फिर इसके बाद की कानूनी लड़ाई आपको बांधे रखती है.
फिल्म की शुरुआत की कहानी का रफ्तार थोड़ा धीमा है. खासकर सी शंकरन नायर(अक्षय कुमार) द्वारा क्रांतिकारी कृपाल सिंह(जसप्रीत सिंह) को दोषी ठहरने में मदद करने और जनरल रेजीनॉल्ड डायर(साइमन पैसले डे) के खिलाफ मुकदमेबाजी के दौरान.
कहानी अपने चरम आकर्षण पर तब पहुंचती है जब सी शंकरन नायर का सामना एंग्लो-इंडियन वकील नेविल मैककिनले(आर.माधवन) जैसे भयंकर प्रतिद्वंदी से होता है.
प्रोडक्शन डिजाइनर रीता घोष आजादी से पहले के भारत को पर्दे पर बेहतर ढंग से दिखाने में कामयाब रही हैं.
देबोजित रे की सिनेमैटोग्राफी, करण सिंह त्यागी का डायरेक्शन और ट्रीटमेंट यह सब कुछ आपको मूवी से जोड़े रखता है.
कंपोजर शाश्वत सचदेव ने ओ शेरा गाने और अजीम दयानी ने बैकग्राउंड स्कोर से कहानी में रोमांच के स्तर को काफी बढ़ा दिया है.
केसरी चैप्टर 2 की कहानी में ब्रिटिश हुकूमत के भीतर भारतीय लोगों के प्रति उनकी घृणा और बढ़ती क्रांतिकारी भावना को बहुत हद तक वास्तविक जैसा दिखाने की कोशिश की गई है.
हालांकि एक गलती दिख रही है जैसे कि सी संकरण नायर का क्राउन के प्रति वफादार होने और एक राष्ट्रवादी में बदलने की प्रक्रिया को दिखाने में मेकर्स ने जल्दबाजी जरूर की है.
पर्दे पर अक्षय कुमार ने सी संकरण नायर के किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है. उनका अंदाज साहसी और रोमांचक है.
दूसरी ओर आर माधवन भी दमदार एक्टिंग के फॉर्म में नजर आ रहे हैं उन्होंने बेहतर इंटेंस एक्टिंग की है.
अनन्या पांडे जो कि सी संकरण नायर की साथी वकील दिलरीत गिल और इस कानूनी लड़ाई में उत्प्रेरक की भूमिका निभा रही हैं उनका भी अंदाज प्रभावशाली लगा है.
जनरल डायर के रोल में साइमन पैसले डे एकदम असली खलनायक लग रहे हैं.
कुल मिलाकर यह फिल्म देखने योग्य है. बचपन में किताबों में हम सभी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को पढ़ा है. इसको पर्दे पर देखकर उस समय की घटना को जीवंत रूप में महसूस करना,उस दर्द और दहशत को महसूस करना एक गजब का अनुभव देता है.